Saraswati Puja Kaise Karen | सरस्वती पूजा कैसे करें

 

Saraswati Puja Kaise Karen

Saraswati Puja Kaise Karen: अगर आप सोच रहे हैं कि सरस्वती पूजा कैसे करें (Saraswati Puja Kaise Kare) या सरस्वती पूजा कैसे मनाया जाता है (Saraswati Puja Kaise manaya jata hai) तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि हिंदू धर्म में सरस्वती पूजा का काफी महत्व है। 

Saraswati Puja Kaise Karen | सरस्वती पूजा कैसे करें

धार्मिक मान्यताओं की माने तो सरस्वती पूजा (Saraswati Puja Kaise karte hai) के दिन मां सरस्वती (Saraswati Mata ki puja kaise karen) की उपासना करनी चाहिए ऐसा करने से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, बाल और बुद्धि का आशीर्वाद मिलता है। 


वैदिक पंचांग की अगर मानें तो हर वर्ष माघ महीने का शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन सरस्वती पूजा (Saraswati Puja Kaise ki jaati hai) का आयोजन बहुत ही धूमधाम से किया जाता है। 2024 में सरस्वती पूजा 14 फरवरी (Saraswati Puja 2024 Date), दिन बुधवार को मनाया जाएगा। इस विशेष दिन पर इस वर्ष चार अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है। तो चलिए आगे जानते हैं सरस्वती पूजा (Saraswati ki puja kaise karen) या वसंत पंचमी 2024 के शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में। 

Saraswati Mata Kon Thi | सरस्वती माता कौन थी?

Saraswati Mata kon thi: ऐसा कहा जाता है कि सरस्वती जी ब्रह्मा जी की बेटी थी। ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की थी तब सरस्वती जी को अपने तेज से उत्पन्न किया था। ऐसा भी माना गया है कि सरस्वती जी की कोई मां नहीं थी। वह बहुत ही ज्यादा खूबसूरत और आकर्षक थी यही कारण है कि स्वयं ब्रह्मा जी भी उनकी और आकर्षित हो गए और उनके मन में सरस्वती माता से विवाह करने का विचार उत्पन्न हो गया। 


आप सभी को तो पता ही है कि (Saraswati Mata Kon h) सरस्वती माता विद्या की देवी है और वह ब्रह्मा जी की यह इच्छा जान गई। वह कभी अपने पिता से ब्याह नहीं करना चाहती थी इसलिए वह ब्रह्मा जी के नजरों से हमेशा बचने का प्रयास करती थी। लेकिन उनके सारे प्रयास असफल गए अंत में सरस्वती जी को ब्रह्मा जी से विवाह करना पड़ा। लोगों का कहना है कि इसके लिए देवलोक में बहुत आलोचना हुई और यही कारण है कि ब्रह्मा जी की पूजा कभी कहीं नहीं की जाती। 


अगर आप सरस्वती (Saraswati Mata kon thi) पुराण पढ़ेंगे तो उसमें लिखा गया है की ब्रह्म और सरस्वती ने 100 साल तक जंगल में पति-पत्नी के रूप में बिताया था। कितने वर्ष तक ब्रह्मा और सरस्वती में प्रेम बना रहा इन दोनों से एक पुत्र भी हुआ जिसका नाम ‘स्वयंभू मनु’ रखा गया। ब्रह्मा और सरस्वती जी के विवाह को लेकर काफी प्रसंग मसहूर है। अलग-अलग प्रसंगों की सत्यता को लेकर अलग-अलग दावे भी है। 

Saraswati Puja Kaise Kare Ghar Me | घर में सरस्वती पूजा कैसे करें?

Saraswati Puja Kaise kare Ghar me: सरस्वती पूजा के दिन सुबह-सुबह उठकर गंगा स्नान या फिर घर के ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। उसे दिन पीले रंग का वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। स्नान करने के बाद आप सरस्वती पूजन का संकल्प ले और मां की मूर्ति या तसवीर की स्थापना अपने घर में करें। 


जब आप मूर्ति स्थापित कर लेंगे उसके बाद देवी मां को पीले वस्त्र पहनाए और पीले फूलों से सिंगर करें। फिर पीला चंदन या फिर सफेद चंदन अक्षत और पीले रंग की रोली चढ़ाएं। याद रखें सरस्वती माता को हमेशा पीले रंग के फूलों या गेंदे के फूल से बने हुए हार ही पहनानी चाहिए। उसके बाद सरस्वती जी (Saraswati Puja Kaise kare Ghar me) को पीले रंग की मिठाइयां और भोग चढ़ाई और विधिवत उनकी पूजन करें। 


आप सबको या कभी नहीं भूलना चाहिए की उनकी पूजन से पहले गणेश जी की पूजा जरूर करें उनके बाद देवी सरस्वती जी की पूजा करें। अगर आप चाहे तो उसके बाद आप अन्य देवताओं की भी पूजा कर सकते हैं। जब आपकी पूजा समाप्त हो जाए तो अंत में ‘ॐ श्री सरस्वतयै नमः’ मंत्र बोलकर हवन में आहुति दें और अपना हवन पूर्ण हो जाने के बाद प्रसाद को ग्रहण करें और उसे अपने परिवार को भी दे। 

Saraswati Murti Ko Ghar Me Kahan Rakhna Chahiye | सरस्वती मूर्ति को घर में कहां रखना चाहिए?

अगर आप भी परेशान यह सोचकर सरस्वती मूर्ति को घर में कहां रखना चाहिए (Saraswati murti ko ghar mein kahan rakhni chahiye) आपको बता दे कि अगर आप शिक्षा संबंधी कार्य को सफल बनाना चाहते हैं तो वसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता (Saraswati Puja 2024 date) की मूर्ति या चित्र को घर के पूर्व या उत्तर दिशा में रखें।


ऐसा करने से आपके कार्य में आई हुई बाधा समाप्त हो जाएगी। अगर आपके घर में पूर्व या उत्तर दिशा में स्थान खाली ना हो तो आप सरस्वती माता (Saraswati puja 2024) की मूर्ति को या तस्वीर को वसंत पंचमी के दिन घर के ईशान कोण को साफ करके उसे अच्छे से सजा के वहां सरस्वती माता की प्रतिमा को स्थापित करके उनकी पूजा आरंभ कर सकते हैं। 

Kaisi Honi Chahiye Mata Saraswati Ki Murti | कैसी होनी चाहिए माता सरस्वती की मूर्ति?

चली जानते हैं कैसी होनी चाहिए माता सरस्वती की मूर्ति (Kaisi honi chahiye mata Saraswati ki murti) आप मूर्ति लेने जा रहे हैं तो इस बात का खास ध्यान रखें कि आप जो भी मूर्ति ले वह कमल पुष्प पर विराजमान बैठी हुई मुद्रा में ही होनी चाहिए। वास्तु शास्त्र की अगर माने तो उनके अनुसार खड़ी हुई मुद्र में माता की मूर्ति स्थापित करना कभी शुभ नहीं माना जाता। 


अगर आप वास्तु शास्त्र की मानते हैं तो माता सरस्वती की मूर्ति हमेशा  सौम्य, सुंदर और आशीर्वाद वाली मुद्रा में होनी चाहिए। मूर्ति खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें की प्रतिमा कही से खंडित नहीं हो। बसंत पंचमी की पूजा करते समय पूजा स्थल पर भूलकर भी माता सरस्वती की दो प्रतिमा स्थापित न करें। 

Saraswati Mata Ki Puja Kaise Ki Jati Hai | सरस्वती माता की पूजा कैसे की जाती है?

सरस्वती माता की पूजा (सरस्वती पूजा विधि इन हिंदी पीडीएफ) करने वाली जगह को गंगाजल से पवित्र करें। सरस्वती माता की मूर्ति को या चित्र कोअपने सामने रखकर उसके सामने धूप-दीप, अगरबत्ती, गूगल जलाएं। 


ऐसा करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है फिर हाथ में तिल, फूल, अक्षत मिठाई और फल लेकर ‘यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः माघ मासे बसंत पंचमी तिथौ भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये’ इस मंत्र को पढ़ें। इस मंत्र को पढ़ाते हुए हाथ में रखी हुई सामग्री को माता (Saraswati Mata Ki Puja Kaise Ki Jati Hai) के सामने रखें और गणपति जी की पूजा करें। 

Basant Panchami Ganpati Pujan Vidhi | बसंत पंचमी गणपति पूजन विधि

हाथ में फूल लेकर गणपति जी (Basant Panchami Ganpati Pujan Vidhi) का ध्यान करें और यह मंत्र पढ़ें गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्। हाथ में अक्षत लेकर गणपति जी का आह्वान करें ‘ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ।। इतना कहकर किसी बर्तन में अक्षत को रखें। फिर हाथ में जल लेकर बोलें:


एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:। रक्त चंदन लगाएं: इदम रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:, इसी प्रकार श्रीखंड चंदन बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं। इसके पश्चात सिन्दूर चढ़ाएं “इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:। उसके बाद दुर्गा और बेलपत्र गणेश जी के ऊपर चढ़ाएं इदं पीत वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि।

Saraswati Puja Kalash Pujan Vidhi | सरस्वती पूजा कलश पूजन विधि 

सरस्वती पूजा कलश पूजन विधि (Saraswati Puja Kalash Pujan Vidhi) में मटके या लोटे पर मोली बांधकर कलश के ऊपर आम का पल्लव अच्छे से रखें और उस कलश के अंदर सुपारी, दूर्वा, अक्षत, मुद्रा डालना ना भूले। आप कलश का जो मुड़ा हुआ भाग होता है यानी की कलश का गला उसमें बोली लपेट और नारियल पर वस्त्र लपेटकर कलश पर रखें। 


यह सब करने के बाद हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरुण देवता का कलश में आह्वान करेंः ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:। (अस्मिन कलशे वरुणं सांगं सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥)


फिर सरस्वती माता का ध्यान करें और यह मंत्र बोले:

या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।

या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।।

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ।।1।।

शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं ।

वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।।

हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् ।

वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।


पूजन के बाद सरस्वती माता (Saraswati Puja Kalash Pujan Vidhi) के नाम से हवन करने के लिए भूमि को स्वच्छ करें और हवन कुंड बनाएं। फिर अग्नि प्रज्वलित करें: हवन में सबसे पहले 'ऊं गं गणपतये नम:' स्वाहा मंत्र से गणेश जी एवं 'ऊं नवग्रह नमः' स्वाहा मंत्र से नवग्रह का हवन करें, तत्पश्चात् सरस्वती माता के मंत्र 'ॐ सरस्वतयै नमः स्वहा' से 108 बार हवन करें। फिर हवन का भभूत माथे पर लगाएं और श्रद्धापूर्वक प्रसाद ग्रहण करें और आसपास के लोगों में भी वितरित करें। 

Basant Panchami Kab Ki Hai | बसंत पंचमी कब है?

हिंदू पंचांग की अगर मन तो पंचमी (Basant panchami kab ki hai) तिथि 13 फरवरी को दोपहर 2 बचकर 41 मिनट पर शुरू हो रही है जो कि 14 फरवरी 2024 को दोपहर में 12 बजकर 09 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। बसंत पंचमी (Basant panchami kab hai) का त्योहार 14 फरवरी 2024 (Saraswati Puja 2024 date) के दिन मनाया जाएगा। 

Saraswati Mata Ko Kya Kya Chadhta Hai| सरस्वती माता को क्या क्या चढ़ता है?

सरस्वती पूजा के दिन सरस्वती माता को क्या-क्या चढ़ता है या फिर सरस्वती माता को क्या चढ़ाना चाहिए उसकी लिस्ट (Saraswati Puja samagri) नीचे है-

  • घी
  • बेर
  • केला
  • अक्षत
  • सिंदूर
  • हल्दी
  • सुपारी
  • नारियल
  • दीया-बाती
  • पूजा थाली
  • मौसमी फल
  • आम के पत्ते
  • धूप-अगरबत्ती
  • लकड़ी की चौकी
  • जल के लिए कलश
  • बूंदी या बूंदी के लड्डू
  • सफेद तिल के लड्डू
  • सरस्वती जी मूर्ति या तस्वीर
  • पीले रंग के फूल और माला
  • आसन पर बिछाने के लिए पीले रंग के कपड़े

Saraswati Puja Ke Din Kya Khana Chahiye | सरस्वती पूजा के दिन क्या खाना चाहिए?

मकर संक्रांति की तरह सरस्वती पूजा (Saraswati Puja Ke Din Kya Khana Chahiye) के दिनभी पीले चावल वाली खिचड़ी बनाना शुभ माना जाता है। अपने घर और जीवन में शांति लाने के लिए माता सरस्वती (saraswati puja 2024 date) को भोग लगाना चाहिए। चावल और अरहर यानी कि तुवर की दाल की खिचड़ी को मसाले डाल कर तैयार कर सकते हैं। यह पारंपरिक होने के साथ-साथ आपके लिए एक अच्छा खाना भी हो जाएगा। 

Saraswati Puja Ke Din Kya Nahi Khana Chahiye | सरस्वती पूजा के दिन क्या नहीं खाना चाहिए?

सरस्वती पूजा के दिन (Saraswati Puja Ke Din Kya Nahi Khana Chahiye) आपको भूलकर भी मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए अगर आप ऐसा करते हैं तो माता सरस्वती आपके ऊपर नाराज हो जाती है और आपका नुकसान भी कर सकती है। बसंत पंचमी (Saraswati puja 2024 date) के दिन जितना हो सके आप सात्विक भोजन का ही सेवन करें। इस दिन आपको किसी भी परिस्थिति में मानसिक भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए अन्यथा आपके घर से सुख समृद्धि चली जाती है। 

Saraswati Puja Muhurat 2024 | सरस्वती पूजा मुहूर्त 2024

(Saraswati Puja muhurat 2024) सरस्वती पूजा मुहूर्त 2024 को माघ शुक्ल पक्ष के पंचमी तिथि को 13 फरवरी दोपहर 02:41 से शुरू की जाएगी और इस तिथि का समापन 14 फरवरी दोपहर 12:09 पर होगा। आप सभी को बता दे की माता सरस्वती की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त (2024 Saraswati Puja date and time) सुबह 7:01 से दोपहर 12:35 के बीच रहेगा। 

Saraswati Puja 2024 Shubh Yog | सरस्वती पूजा 2024 शुभ योग 

सरस्वती पूजा 2024 शुभ योग (Saraswati Puja 2024 Shubh Yog), शुक्ल योग, रवि योग और रेवती नक्षत्र का निर्माण इस वर्ष हो रहा है। इन सारे योग को पूजा पाठ के लिए सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। आप सभी को बता दे की शुभ योग सुबह 7:55 तक रहेगा और इसके बाद शुक्ल योग शुरू हो जाएगा। दूसरी तरफ रवि योग सुबह 10:43 से 15 फरवरी सुबह 7:00 बजे तक रहेगा और इसके बाद रेवती नक्षत्र सुबह 10:43 तक रहेगा उसके बाद अश्विनी नक्षत्र शुरू हो जाएगा। 

Saraswati Puja Mantra | सरस्वती पूजा मंत्र इन संस्कृत 

यहां हमने सबसे महत्वपूर्ण (Saraswati Puja Mantra) सरस्वती पूजा मंत्र इन संस्कृत बताइ है जो सबसे ज्यादा शक्तिशाली है-


  • 'ॐ शारदा माता ईश्वरी में नित सुमरि तोय हाथ जोड़ अरजी करूं विद्या वर दे मोय।’
  • 'ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्।’
  • नमस्ते शारदे देवी, काश्मीरपुर वासिनी, त्वामहं प्रार्थये नित्यं, विद्या दानं च देहि में, कंबू कंठी सुताम्रोष्ठी सर्वाभरणंभूषिता, महासरस्वती देवी, जिव्हाग्रे सन्नी विश्यताम् ।। शारदायै नमस्तुभ्यं, मम हृदय प्रवेशिनी, परीक्षायां समुत्तीर्ण, सर्व विषय नाम यथा ।।
  • ॐ सरस्वती मया दृष्ट्वा, वीणा पुस्तक धारणीम् । हंस वाहिनी समायुक्ता मां विद्या दान करोतु में ॐ ।।
  • ॐ ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः
  • सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि । विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥
  • ॐ ऐं महासरस्वत्यै नमः ।
  • ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वाग्देव्यै सरस्वत्यै नमः ।
  • ॐ अर्ह मुख कमल वासिनी पापात्म क्षयम् कारी वद वद वाग्वादिनी सरस्वती ऐं हीं नमः स्वाहा।
  • सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने । विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोस्तुते ॥
  • या देवी सर्वभूतेषु विद्या-रुपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥

Saraswati Puja Paddhati | सरस्वती पूजा पद्धति

ॐ भूर्भुवः स्वः महासरस्वती, इहागच्छ इह तिष्ठ। इस मंत्र (Saraswati Puja Paddhati) को बोलकर अक्षर रखें इसके बाद हाथ में जल लेकर यह मंत्र पढ़ें 'एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।” प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएं: ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः।। 


ॐ श्री सरस्वतयै नमः।। इदं रक्त चंदनम् लेपनम् से रक्त चंदन लगाएं। इदं सिन्दूराभरणं से सिन्दूर लगाएं। ‘ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः। पूजयामि शिवे, भक्तया, सरस्वतयै नमो नमः।। ॐ सरस्वतयै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि। इसके बाद प्रतिष्ठा स्नान कराएं।

Saraswati Puja Mantra | सरस्वती ध्यान मंत्र

चलिए सरस्वती ध्यान मंत्र (Saraswati Puja Mantra) जानते हैं ॐ सरस्वती मया दृष्ट्वा, वीणा पुस्तक धारणीम् । हंस वाहिनी समायुक्ता मां विद्या दान करोतु में ॐ।। सरस्वती ध्यान मंत्र के काफी लाभ है हमारे शास्त्रों और पुराणों में इस बात का पूर्ण उल्लेख किया गया है की माता सरस्वती ने ही मनुष्य को भाषा, बोलने की शैली, विद्या और उसे पाने का साधन प्रदान किया है। 


हर शिष्य या विद्यार्थी जो ज्ञान पाने के लिए उत्सुक है उसे माता सरस्वती (Saraswati Puja Mantra) की उपासना जरूर ही करनी चाहिए। ऐसा करने से आपके हृदय में ज्ञान की लालसा बढ़ती है और आप इसे पाने की मार्ग की ओर बढ़ते चले जाते हैं।  

Saraswati Mata Ka Saptah Me Kon Sa Din Hota Hai | सरस्वती माता का सप्ताह में कौन सा दिन होता है?

हिंदू धर्म में माता सरस्वती को विद्या और बुद्धि का देवी माना जाता है सप्ताह में इनका दिन गुरुवार को माना जाता है क्योंकि गुरुवार को ज्योतिष में विद्या का कारक माना गया है। 

सरस्वती माता की पसंदीदा साड़ी | Best Saree For Saraswati Puja

सरस्वती पूजा के दिन पीली साड़ी पहनी चाहिए (Saree For Saraswati Puja) क्योंकि पीला रंग सरस्वती जी को काफी पसंद है। बसंत पंचमी के आने की खुशी पीले वस्त्र पहन कर दिखाई जाती है इसलिए महिलाएं इस दिन पारंपरिक पहनावा यानी की पीली साड़ी पहनती है। 


ऐसा इसलिए भी क्या जाता है क्योंकि माता सरस्वती को पीला रंग काफी पसंद है वह पीले रंग को काफी पसंद करती है इसलिए उन्हें खुश करने के लिए पीला साड़ी (Best saree for Saraswati Puja) ही पहनना चाहिए। 

Saraswati Mata Ko Prasan Kaise Kare | सरस्वती माता को खुश करने के लिए क्या करना चाहिए?

सरस्वती माता को प्रसन्न (Saraswati Mata ko prasan kaise kare) करने के लिए यानी कि सरस्वती माता को खुश करने के लिए विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। उनका विधि से पूजा करने से व्यक्ति के अंदर ज्ञान की बढ़ोतरी होती है। 


क्या आप भी इस साल सरस्वती माता को खुश करना चाहते हैं तो आपको सरस्वती माता की पसंद की चीज उन्हें अर्पित करनी चाहिए। सरस्वती माता को खुश (Saraswati Mata ko khush kaise kare) करने के लिए क्या सरस्वती माता को प्रसन्न (Saraswati Mata ko kaise prasann kare) करने के लिए हमने कुछ विधि बताइ हैः


  • सरस्वती पूजा के दिन सरस्वती माता को जो भी अर्पित करें वह पीली होनी चाहिए। 
  • माता सरस्वती को आप पीले रंग या फिर सफेद रंग का ही फूल चढ़ाएं।
  • सरस्वती माता को पीला चंदन और केसर का ही तिलक लगाए।
  • सरस्वती माता को पेन और कॉपी चढ़ाना ना भूले ऐसा करने से विद्या की बढ़ोतरी होती है। 
  • अगर आपकी इच्छा हो तो आप सरस्वती माता को पीली बूंदी का भी भोग लगा सकते हैं। 
  • अगर आप फल चढ़ा रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि आप सरस्वती माता को पीले रंग का ही फल चढ़ाएं।

Saraswati Mata Ko Kaise Manaye | सरस्वती माता को कैसे मनाएं?

अगर आप सरस्वती माता को मनाना (Saraswati Mata Ko Kaise Manaye) चाहते हैं तो पूजा करते समय ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः मंत्र का जप हल्दी की माला से करें। आप किसी कन्या को घर बुलाकर सफेद रंग की मिठाई खिलाई ऐसा करने से भी माता सरस्वती काफी प्रसन्न हो जाती हैं। 


आप माता सरस्वती का आशीर्वाद पाने के लिए अपामार्ग की जड़ को पुरुष की दाहिनी भुजा में और महिला के बाई भुजा पर बंद है। सरस्वती माता को मनाने के लिए पीली मिठाई, मिश्री और केसर से बनी हुई खीर का भोग लगाएं ऐसा करने से भी माता सरस्वती (Saraswati Mata Ko Kaise Manaye) जल्दी ही प्रसन्न हो जाती हैं। 

Saraswati Puja 2024 Mein Kab Hai | सरस्वती पूजा 2024 में कब है?

अगर आपको नहीं पता सरस्वती पूजा 2024 में कब है (Saraswati Puja 2024 mein kab hai) तो हम आपको बता दे की 14 फरवरी 2024 (Saraswati Puja 2024 Date) दिन बुधवार को यह मनाई जाएगी। यह इसलिए मनाई जाती है क्योंकि सरस्वती जी की कृपा से संसार के सभी जीव-जंतुओं को वाणी के संग बुद्धि और विद्या भी मिली थी। धर्म ग्रंथो की अगर मन तो बसंत पंचमी के दिन ही प्रेम के देवता कामदेव और उनकी पत्नी रति की उपासना काफी विधान माना गया है। 


अगर आप पंचांग की माने तो माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि  13 फरवरी 2024 को दोपहर 02 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 14 फरवरी 2024 को दोपहर 12 बजकर 09 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इस दिन सरस्वती पूजा (2024 Saraswati Puja date and time) सुबह करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। 


सरस्वती पूजा मुहूर्त  (Saraswati Puja muhurat 2024) 

  • सुबह 7:00 से दोपहर 12:35 बजे तक है। 
  • अवधि 5 घंटे 35 मिनट है। 

Saraswati Puja In Hyderabad | सरस्वती पूजा हैदराबाद

सरस्वती पूजा हैदराबाद (Saraswati Puja in Hyderabad) में सिद्धि विनायक पूजा विनायक देवुडु के लिए की जाती है यह सभी बढ़ाओ और नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करती है। इस पूजा को करने से व्यक्ति को सफलता प्राप्त होती है परिवार में सद्भाव आती है और जीवन में विजय प्राप्त करने में मदद मिलती है। गणपति पूजा या सिद्धि विनायक पूजा गणेश देवुडु को समर्पित है जिन्हें ‘विघ्नहर्ता’ के नाम से भी जाना जाता है। 


उनका नाम विघ्नहर्ता इसलिए पड़ा क्योंकि वह विघ्न या बाधाओं तथा सभी नकारात्मक ऊर्जा को आपके जीवन से हटाते हैं और जीत या सफलता प्रदान करते हैं। हैदराबाद में सर्वश्रेष्ठ गणपति पूजा (Saraswati Puja online) सभी अनुष्ठान विघ्नेश्वर पूजा से शुरू होती है और उसके बाद अन्य सभी पूजाएं होती हैं। इस पूजा को शुरू करने से पहले भगवान विनायक का आह्वान होता है फिर विनायक मंत्र का जाप करके की जाती है। 

Saraswati Avahan Puja | सरस्वती आह्वान पूजा

हिंदू धर्म में सरस्वती माता (Saraswati Avahan Puja) को ज्ञान और विद्या की देवी माना जाता है तथा साथ ही वह साहित्य, कला और स्वर की भी देवी मानी जाती हैं। उन्हें वेदों की भी देवी कहा गया है। उनकी पूजा करने से माता सरस्वती बुद्धि और ज्ञान को बढ़ा देती है। 


सरस्वती पूजा के लिए जो चार दिनों की पूजा होती है उसे (Saraswati Avahan Puja) सरस्वती आह्वान, सरस्वती पूजा, सरस्वती बलिदान और सरस्वती विसर्जन के नाम से जाना जाता है। यह मूल, पूर्वा आषाढ़, उत्तरा आषाढ़ और श्रवण नक्षत्र में किए जाते हैं सरस्वती आह्वान (Saraswati Avahan Puja) के दिन सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले स्नान आदि से निवृत हो जाए फिर सरस्वती जी की पूजा करें। 

Importance of Saraswati Puja | क्या है सरस्वती पूजा का महत्व? 

जैन धर्म और हिंदू धर्म में माता सरस्वती (Importance of Saraswati Puja) को सभी विद्याओं का स्रोत माना गया है। बौद्ध धर्म के अनुयायी भी माता सरस्वती (Saraswati Puja importance) की अत्यधिक भक्ति के साथ पूजा करते हैं और ऐसा मानते हैं की माता सरस्वती गौतम बुद्ध की पवित्र शिक्षाओं के संरक्षण में समर्थन करती हैं। पवित्र हिंदू शास्त्रों के अनुसार अनुष्ठानों के प्रदर्शन के लिए नक्षत्रों को निर्दिष्ट करती हैं।

निष्कर्ष

इस पोस्ट infoinhindi.in में दी हुई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर ही आधारित है। हमने पुर्ण रूप से तथा पुरी सच्चाई के साथ इस लेख को लिखा है। उम्मीद है आपको मेरी लेख अच्छी लगी होगी इसमें हमने सरस्वती पूजा कैसे करें (Saraswati Puja Kaise Karen), उसके क्या महत्व है (Saraswati Puja importance) तथा सरस्वती पूजा के लिए किन सामग्री (Saraswati Puja Samagri) का उपयोग करें यह दी है।

FAQ | पूछे जाने वाले प्रश्न 

1. सरस्वती की पूजा कब करनी चाहिए?

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल सरस्वती पूजा माघ महीने की शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन की जाती है।

2. सरस्वती पूजा के लिए प्रसाद क्या है?

मान्यताओं के अनुसार सरस्वती पूजा के दिन बेसन के लड्डू का प्रसाद चढ़ाने से देवी सरस्वती संग देवगुरु बृहस्पति और विष्णु जी का आशीर्वाद भी मिलता है। 

3. सरस्वती को कौन सा फल पसंद है?

सरस्वती जी को मौसमी फल पसंद है। 

4. मां सरस्वती को कौन सा फूल पसंद है?

मां सरस्वती को सफेद या पीले रंग का फूल पसंद है। 

5. सरस्वती पूजा के दिन क्या खाना चाहिए?

सरस्वती पूजा के दिन पीले मीठे चावल का भोग लगाने की परंपरा है।

6. सरस्वती पूजा के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

सरस्वती पूजा के दिन मांस तथा बिना स्नान किए किसी भी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए। 

7. माँ सरस्वती जुबान पर कब आती है?

मां सरस्वती जुबान पर सुबह 3.20 मिनट से 3.40 मिनट के बीच आती है।

8. सरस्वती जी का मंत्र क्या है?

सरस्वती जी का मंत्र ‘या देवी सर्वभूतेषु विद्यारूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः’ है।

9. सरस्वती मंत्र कितने होते हैं?

सरस्वती मंत्र 108 होते हैं।

10. पढ़ाई के लिए कौन सा मंत्र अच्छा है?

पढ़ाई के लिए सरस्वती गायत्री मंत्र : 'ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्‌।’ अच्छा है।

11. विद्या प्राप्ति के लिए कौन सा मंत्र पढ़ना चाहिए?

विद्या प्राप्ति के लिए ‘ओम ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः’ मंत्र पढ़ना चाहिए।

12. बुद्धि मंत्र क्या है?

सरस्वती माता का बुद्धि मंत्र ‘ॐ ऐं वाग्देव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि!’ है।




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